गोबर की खाद (कम्पोस्ट) बनाने की विधि आसान है, और इसे घर पर भी तैयार किया जा सकता है। यह विधि प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और पौधों को पोषण प्रदान करती है।
गोबर की खाद बनाने की विधि:
सामग्री:
1. (गाय या भैंस) का ताजा गोबर
2. सूखी पत्तियाँ, भूसा, और घास
3. रसोई का जैविक कचरा (फल-सब्जियों के छिलके, खाद्य अपशिष्ट)
4. पानी
5. गोबर की खाद के लिए एक छायादार स्थान
बनाने की विधि:
1. स्थान चुनना: एक छायादार स्थान पर 4-5 फीट लंबा और 2-3 फीट चौड़ा गड्ढा बनाएं या खाद का ढेर बनाने के लिए जमीन पर जगह बनाएं। अगर गड्ढा बनाना संभव नहीं हो तो इसे एक बड़े कंटेनर या टैंक में भी तैयार कर सकते हैं।
2. बेस लेयर (पहली परत): सबसे नीचे सूखी पत्तियों, भूसा, घास आदि की एक परत बनाएं। यह परत जल निकासी और हवा-संचार को बढ़ावा देती है।
3. गोबर की परत: इसके ऊपर गोबर की एक 3-4 इंच मोटी परत लगाएँ। गोबर नाइट्रोजन का अच्छा स्रोत है और जैविक कचरे को जल्दी से विघटित करने में सहायक होता है।
4. किचन कचरा और सूखी पत्तियाँ: गोबर की परत के ऊपर रसोई के जैविक कचरे और सूखी पत्तियों की परत बनाएं। इससे खाद में कार्बन और नाइट्रोजन का संतुलन बना रहेगा।
5. पानी का छिड़काव: परतों को लगाने के बाद थोड़ी मात्रा में पानी का छिड़काव करें ताकि मिश्रण नम रहे, लेकिन बहुत ज्यादा गीला न हो।
6. परतें दोहराएं: इसी प्रकार की परतें बार-बार लगाएँ। हर 2-3 दिन बाद इस परत को अच्छी तरह से उलट-पलट करें ताकि हवा और नमी बराबर मिले।
7. समय-समय पर मिलाना: हर 15-20 दिन में गोबर की खाद को हिलाएं और पलटें। इससे वेंटिलेशन बेहतर होगा और खाद तेजी से तैयार होगी।
8. खाद बनने में लगने वाला समय: गोबर की खाद पूरी तरह से तैयार होने में 2-3 महीने का समय लग सकता है। जब यह भूरे रंग की और मिट्टी जैसी महक वाली हो जाती है, तो खाद उपयोग के लिए तैयार मानी जाती है।
इस प्रकार खाद तैयार होने पर इसे किसी भी प्रकार की फसल, बगीचे के पौधों या अन्य कृषि कार्यों में उपयोग कर सकते हैं। खाद को सीधे मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें।
गोबर की खाद का महत्व व पोषक तत्व
गोबर की खाद मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाती है, और यह रासायनिक खादों का एक जैविक और स्वस्थ विकल्प है।
गोबर की खाद एक प्राकृतिक और जैविक खाद है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो मिट्टी की उर्वरता और पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने और फसलों की वृद्धि में सहायक होते हैं। इसमें मुख्यतः नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटेशियम (K) और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
गोबर की खाद में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों का प्रतिशत लगभग निम्नलिखित होता है:
1. नाइट्रोजन (N): 0.5% - 1%
2. फास्फोरस (P): 0.2% - 0.5%
3. पोटेशियम (k): 0.5% - 0.6%
इसके अलावा गोबर की खाद में कुछ अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं, जैसे:
1.कैल्शियम (Ca): 0.4% - 1%
2.मैग्नीशियम (Mg): 0.2% - 0.3%
3.सल्फर (S): 0.1% - 0.2%
4.जिंक (Zn), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn) और बोरॉन (B) जैसे तत्व भी थोड़ी मात्रा में मौजूद होते हैं।
पोषक तत्वों के उपयोग
1. नाइट्रोजन (N): नाइट्रोजन पौधों के पत्तों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। यह पौधों की हरित कोशिकाओं (क्लोरोफिल) के निर्माण में मदद करता है, जिससे पौधे हरे और स्वस्थ बनते हैं।
2. फॉस्फोरस (P): फॉस्फोरस जड़ और फूलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह ऊर्जा के उत्पादन और पौधों के विकास में सहायक होता है।
3. पोटेशियम (K): पोटेशियम पौधों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे उन्हें कीट और रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। यह फलों और फूलों की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।
4. कैल्शियम (Ca): कैल्शियम मिट्टी की संरचना को सुधारता है और पौधों की जड़ों और तनों को मजबूत बनाता है। यह पौधों के कोशिकाओं की दीवारों को भी मजबूती प्रदान करता है।
5. मैग्नीशियम (Mg): मैग्नीशियम पौधों के लिए क्लोरोफिल बनाने में सहायक होता है, जिससे प्रकाश-संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) की प्रक्रिया सुचारू रूप से होती है।
6. सल्फर (S): सल्फर पौधों में प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक होता है और यह एंजाइमों और विटामिन्स के निर्माण में भी सहायक है।
7. सूक्ष्म पोषक तत्व: गोबर की खाद में जिंक, कॉपर, आयरन और मैंगनीज जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं।
गोबर की खाद के फायदे:
गोबर की खाद धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ती है, जिससे पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता है। यह मिट्टी की जल धारण क्षमता, संरचना और सूक्ष्मजीवों के विकास में भी सहायक है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
1.मिट्टी की संरचना में सुधार: गोबर की खाद मिट्टी की जल धारण क्षमता और हवा-संचरण को बढ़ाती है।
2.जैविक पदार्थ: इसमें कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जो मिट्टी में सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देते हैं और पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं।
पर्यावरण के लिए अनुकूल: यह एक प्राकृतिक और जैविक खाद है, जिससे मिट्टी और पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
गोबर की खाद का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे फसलें स्वस्थ और अधिक उपजाऊ होती हैं।
गोबर की ताजा खाद के फायदे और नुकसान
ताज़ा गोबर को सीधे खेतों में उपयोग करने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसे आमतौर पर खेतों में बिना सड़ाए (कम्पोस्ट किए बिना) उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाती। इसके कुछ कारण और सावधानियाँ निम्नलिखित हैं:
ताज़ा गोबर के सीधे उपयोग के नुकसान:
1.नाइट्रोजन की उच्च मात्रा: ताज़ा गोबर में नाइट्रोजन की अधिकता होती है, जो पौधों की जड़ों को जलाने का कारण बन सकती है। इससे पौधों की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. कीटों और रोगजनकों का जोखिम: ताजे गोबर में कुछ रोगजनक बैक्टीरिया और कीट हो सकते हैं, जो पौधों और मिट्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
3. घास और खरपतवार: ताज़े गोबर में खरपतवार के बीज होते हैं, जो खेत में जाकर उग सकते हैं और फसलों में प्रतिस्पर्धा पैदा कर सकते हैं।
4. पोषक तत्वों का असंतुलन: ताजा गोबर का विघटन मिट्टी में बहुत अधिक कार्बन और नाइट्रोजन संतुलन बिगाड़ सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ पोषक तत्व पौधों के लिए उपलब्ध नहीं रहते, जिससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
5. गंध और मक्खियों का आकर्षण: ताजा गोबर से गंध आती है और मक्खियाँ आकर्षित होती हैं, जो खेतों के आस-पास असुविधा पैदा कर सकती हैं।
ताज़े गोबर का सुरक्षित उपयोग कैसे करें:
यदि ताज़े गोबर का उपयोग आवश्यक हो, तो इसे निम्नलिखित तरीके से सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है:
1. कम्पोस्ट बनाकर उपयोग: ताज़े गोबर को कुछ महीनों के लिए सड़ने दें ताकि यह कम्पोस्ट में बदल जाए। इससे रोगजनक और खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते हैं, और नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित हो जाती है।
2. गोबर को मिट्टी में पहले से मिलाना: अगर तुरंत उपयोग करना ही हो, तो इसे खेतों में फसल बोने से 2-3 महीने पहले डालें। इससे यह मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाता है और विघटित हो जाता है।
3. संतुलित मात्रा में उपयोग: कम मात्रा में ताजे गोबर का उपयोग करने से संभावित जोखिम कम हो सकता है।
4. सड़ी हुई खाद का विकल्प: ताजे गोबर की बजाय सड़ी हुई खाद का उपयोग बेहतर होता है, क्योंकि यह पौधों के लिए सुरक्षित और अधिक लाभकारी होता है।
निष्कर्ष
ताजे गोबर का उपयोग सीधे खेतों में करना फसलों के लिए समस्याएँ खड़ी कर सकता है। इसे सड़ाकर (कम्पोस्ट बनाकर) उपयोग करना अधिक सुरक्षित और प्रभावी है।
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